पहाड़ों की लिपि टांकरी

● टांकरी लिपि का परिचय ● टांकरी लिपि उत्तर भारत में अर्वाचीन काल मे प्रचलित होने वाली लिपि रही है। लिपि और भाषा पर अनेकों बार लोग भ्रमित होते देखे गए हैं। वरन इस अंतर को अन्यान्य विद्वानों द्वारा बारंबार स्पष्ट करने के उपरांत भी टांकरी को भाषा कहने की त्रुटि लोग सहज ही कर …

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सिकंदर के सैनिकों के वंशज नहीं, इंडो-मंगोलियन्स हैं मलाणावासी

(यह लेख 2018 में फोकस हिमाचल में प्रकाशित हो चुका है) मलाणा ऐतिहासिक लोकतंत्र से हशीश घाटी तक :- पार्वती घाटी के भीतरी हिस्से में दुर्गम गर्त घाटियों से घिरा हुआ मलाणा आज विश्व मे किसी परिचय का मोहताज नहीं है । मलाणा को आज अधिकतर लोग चरस की खेती के लिए पहचानते हैं । …

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कुंजड़ी – मलहार

बहुत पहले चम्बा के राजाओं ने अपने स्तुतिगान के लिए लखनऊ से अवधाल बुलाये जिनको कि साथ लगते गावं मंगला में बसाया गया , इन अवधालों ने कुंजड़ी – मलहार की रचना की , कुंजड़ी – मलहार में सावन ऋतु से संबधित गीत हैं जिनमें कि नारी की विरह वेदना का समावेश है यानि की …

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