सांभ में आपका स्वागत है

सांभ आखिर है क्या ?

सांभ एक प्रयास है आधुनिकता की आपाधापी में गुम हो रही हमारी सांस्कृतिक , सामाजिक एवं पारम्परिक विरासतों को फिर से सहेज के रखने का तथा जाने – अनजाने अपनी संस्कृति से विमुख हो रही वर्तमान पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक एवं पारम्परिक सरोकारों से जोड़ने का…

तस्वीर डाडॉसिब्बा के राधाकृष्ण मंदिर के छत की है

“जियां अहाँ दा शरीर है उस वास्ते खून दी जरूरत है , तियां ही मैं एह समझदा की कुसी संस्कृति जो जिन्दा रखने वास्ते उसदी भाषा बड़ी जरूरी है”

डॉ प्रत्यूष गुलेरी जी

मुख्य लेख

पहाड़ों की लिपि टांकरी

टांकरी लिपि उत्तर भारत में अर्वाचीन काल मे प्रचलित होने वाली लिपि रही है। लिपि और भाषा पर अनेकों बार लोग भ्रमित होते देखे गए हैं। वरन इस अंतर को अन्यान्य विद्वानों द्वारा बारंबार स्पष्ट करने के उपरांत भी टांकरी को भाषा कहने की त्रुटि लोग सहज ही कर जाते हैं। यह लिपि पहाड़ों में मुख्यतः 15वीं से 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक अधिक प्रयोग की गई है……..

सिकंदर के सैनिकों के वंशज नहीं, इंडो-मंगोलियन्स हैं मलाणावासी

पार्वती घाटी के भीतरी हिस्से में दुर्गम गर्त घाटियों से घिरा हुआ मलाणा आज विश्व मे किसी परिचय का मोहताज नहीं है । मलाणा को आज अधिकतर लोग चरस की खेती के लिए पहचानते हैं । देशी विदेशी पर्यटक हर वर्ष यहां सैंकड़ों की तादात में उत्सुकतावश घूमने आते हैं । वो हशीश ………….

कुंजड़ी - मलहार

बहुत पहले चम्बा के राजाओं ने अपने स्तुतिगान के लिए लखनऊ से अवधाल बुलाये जिनको कि साथ लगते गावं मंगला में बसाया गया , इन अवधालों ने कुंजड़ी – मलहार की रचना की , कुंजड़ी – मलहार में सावन ऋतु से संबधित गीत हैं जिनमें कि नारी की विरह वेदना का समावेश है यानि की नायिका विरह में कुछ इस …….

हमारी पहल
धौलाधार क्लीनर्स(Dhauladhar Cleaners) धर्मशाला, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में स्थित स्वयंसेवकों का एक समूह है।

लोग क्या कहते है

291911344_510768817484467_7385725830879516323_n

“Sambh! You guys are on track to revive the culture and of course protect it for future generations!”

Avinash Katoch
23376532_10213524452400656_4698015572625175370_n
“Really impressed with Sambh Team . Well done and keep it up”
Arpit Awasthi
44997120_1886083228141126_5753501373261938688_n
“एक बहुत ही बेहतरीन और साकारात्मक पहल अपनी भूली बिसरी धरोहर को सहेजने और उनके उत्थान की।”
SUNIL RANA